ज़िन्दगी के मायने अलग है
पर है तो ज़िन्दगी ही.. तेरी भी मेरी भी
हर सुबह सवेरा नहीं होता मेरा
पर रात तो होती है.. तेरी भी मेरी भी
गुमनाम सही, पर आवारगी पालते है
ख्वाहिशें कुछ तो रह जाती हैं.. तेरी भी मेरी भी
मुख़्तसर सी मोहलत नहीं मिलती महलों में
न मुसाफिर यहाँ थम पाता है
उम्र जी लेते हैं उम्र भर
ज़िन्दगी रह जाती है.. तेरी भी मेरी भी!
👌👌
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